मेरी ‘ सिम्प्ली ब्यूटिफ़ुल ‘ की यात्रा जनवरी २०१३ में शुरू हुई। ४ साल से अधिक समय तक सेंट पीटर्सबर्ग, फ्लोरिडा में रहने के बाद, मेरे पति आलोक और मैंने मुंबई में स्थानांतरित करने का फैसला किया। मैं अपने लिए एक ‘ अमेरिकन टेक अवे ‘ ( यादगार ) चाहती थी – ऐसा कुछ जो मेरी आने वाली ज़िंदगी का पर्मनेंट हिस्सा बन सके। मेरी इस खोज ने मुझे क्विल्टिंग की अद्भुत दुनिया से परिचय करवाया। एक वर्ष में, अमेरिका में जिस शहर में भी आलोक अपने ऑफ़िस के काम से जाते थे , में उस शहर की क्विल्ट की दुकानो का दौरा करने में जुट जाती थी । इस कारण मैंने एक वर्ष में तक़रीबन १०० दुकानो का दौरा कर लिया था। हर जगह मुझे बहुत खुश क्विल्टर्ज़ मिलते थे, जो अपने शौक ( हॉबी) के बारे में बहुत प्रतिबद्ध और भावुक थे।
एक साल बाद, जब हम मुंबई लौट आए और फिर से बस गए। अब मैंने दो चीजों के लिए उत्सुक होना शुरू कर दिया। मैंने अमेरिका के शानदार क्विल्टिंग समुदाय को याद करना शुरू कर दिया और में अपनी क्षमता के अनुसार समाज के लिए कुछ करने के लिए प्रेरित होने लगी। तब मुझे अमेरिकी क्विल्टर्ज़ के साथ हमारे अद्भुत भारतीय कपड़े ( फ़ाब्रिक्स ) साझा करने का विचार आया और फैसला किया कि यदि मैं कभी सफल हुयी तो मैं सही दिशा में बदलाव लाने के लिए अपनी निजी कमाई का उपयोग करूँगी।
तबसे मैंने यार्न और कपड़ों के विभिन प्रकार, अलग-अलग कपड़े बनाने वाली विभिन्न प्रक्रियायें, रंगनेवाले डाइज़ जो अनेक तरेके से इस्तेमाल किए जाते हैं, इन सब चीज़ों के बारे में जानना और सिखना शुरू कर दिया है। मैं अक्सर भारत के विभिन्न हिस्सों में कपड़ों के व्यापारियों और निर्माताओं से डिरेक्ट कपड़ा ख़रीदने के लिए यात्रा करती हूं। मेरी उम्र में भी मुझे कपड़ों के व्यवसायियों से बहुत अधिक प्रतिरोध का सामना करना पड़ता है, क्योंकि मैं एक बुद्धिमान महिला हूं, जो ‘ नहीं ‘ को जवाबस्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है!
मैं नियमित रूप से आलोक के साथ अमेरिका वापस जाती रहती हूं और जब से ‘ सिम्प्ली ब्यूटिफ़ुल ‘ की शुरुआत हुई है , तबसे तो मुझे अपने काम के सीसिले के कारण वहाँ अकेले भी जाना पड़ता है। मैं अक्सर कहती हूं, कि मेरे काम से संबंधित यतराए मुझे असली अमेरिका में ले जाती है। ये न केवल बड़े और प्रसिद्ध शहर हैं, बल्कि और भी बहुतसी छोटी छोटी जगहाए भी हैं, जैसे पदूकहा – केंटकी और ला वेता – कोलोराडो। इस तरह के छोटे और बड़े अमरीकी शहरों में साल भर के ‘ क्विल्टिंग ‘ के शोस और प्रदर्शनिया बिलकुल आश्चर्य जनक होती हैं।
इन शोस में भाग लेने वाले आगंतुकों ( विज़िटर्ज़ ) में डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, बैंकर और जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों से मुलाक़ात होती हैं । उनके लिए, प्रदर्शनी के २ से ३ दिन उनका ‘ रिट्रीट ‘ है – खुद को ‘ रिबूट ‘ करने का समय, विभिन्न नई अवधारणाओं और तकनीकों को सीखने का अवसर और अपने शौक के साथ उनकी मदद के लिए उपलब्ध विभिन्न प्रकार के नए व्यापारों को खोजने का अवसर। कई अकेले आते हैं, जबकि कई एक समूह में बसों में पिकनिक मनाते हुए आते हैं। इतनी खूबसूरत दोस्तीयां हैं जो एसी प्रदर्शिनयो की वजह से बनी हैं, और बहुत अछे से और सालों साल निभ रही हैं। जब मैं चारों ओर देखती हूं, तो मुझे यहाँ पर हर कोई बहुत ख़ुश और आनंदमय मिलता है।
इससे मुझे समझ में आया है कि यदि आपके अंदर जुनून है, तो आप अपने परिवार, करियर, सामाजिक प्रतिबद्धताओं को संतुलित कर सकते हैं और अभी भी अपने लिए और अपने पसंदीदा शौक और होब्बियों के लिए समय निकाल सकते हैं। जब समय दुर्लभ होता है, तो आप कभी भी एक भी मिनट बर्बाद नहीं होने देते हैं। आप अपने हर एक क्षण को जी भरके जीते हैं।आप अपने प्रियजनों के साथ बिताया हुए समय का भी पूरा आनंद ले रहे होते हैं जिससे वो सभी क्षण बहुत ही यादगार बन जाते हैं और आपका मन संतुष्ट हो जाता है।
अब मैंने रचनात्मक गतिविधियों के महत्व और आवश्यकता को समझ लिया है। इनसे आप अपने उन्नति और अपने विकास कर सकते हैं और अपना ख़ुद का एक अस्तित्व बना सकते हैं। जबसे मैंने सच्ही
लगन से ‘ सिम्प्ली ब्यूटिफ़ुल ‘ की शुरुआत करी हैं, तभिसे मुझे मेरे काम का लक्ष्य और उद्देश्य समझ आया हैं। यह महत्वपूर्ण है कि हम एक सकारात्मक और खुशहाल जगह पर रहें और इसे प्राप्त करने के लिए हमारा दिमाग कभी निष्क्रिय न हों। हमारि सोच हमेशा सकारात्मक होनी चाहिए जो हमें जीवन में हरपल आगे बड़हाए। जब हम स्वयं खुश होंगे तभी ही हम अपने प्रियजनों को भी खुश होने के लिए प्रोत्साहित कर पाएँगे।
अस्त तक ख़ुशी से व्यस्त और हमेशा हमेशा के लिए मस्त!
ये सही समय है जब हम साथ मिलकर अपने जीवन और हमारी दुनिया को ‘ सिम्प्ली ब्यूटिफ़ुल ‘ बना सकते हैं।